दफन हो जायेंगी यादें ज़हन की कब्र में,
इन यादों को कफन तो पहना दो ज़रा ।
कोशिश तो करेंगें यादें जीएँ न दोबारा,
तुम भी हमें कोई तदबीर सुझा दो ज़रा ।
दिल बार-बार सोचता है तुम्हारे लिये क्यों,
तुम्ही इस बात की वज़ह समझा दो ज़रा ।
वीरानीयों ने बार-बार सदा दी बहारों के लिये,
कब तलक आओगे तुम ये बता दो ज़रा ।
Thursday, December 20, 2007
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1 comment:
दफन हो जायेंगी यादें ज़हन की कब्र में,
इन यादों को कफन तो पहना दो ज़रा ।
कोशिश तो करेंगें यादें जीएँ न दोबारा,
तुम भी हमें कोई तदबीर सुझा दो ज़रा ।
Anil, Bahut hi pyaari ghazal, aur yeh she'r to laajwaaab hain.
Surinder
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