एक अधूरा सपना था,
सपने में कोई अपना था,
वो आये तो टूटा सपना था,
पूरा जो होना सपना था !
हर भाव तेरे शीशे की तरह,
बस मेरा चेहरा दिखता था,
तुम लाख करो कोशिश अपनी,
हर बात में तेरी मैं ही था !
चुपचाप रहो चाहे जब तक,
नयनों की भाषा बोलेगी,
ये प्यार की मस्ती ऐसी है,
सब गाँठें खुद ही खोलेगी !
तेरा आना ज्यों सपना था,
पर मन का ये ही कहना था,
आओ सच में या ख्वाबों में,
तुमसे ही जीवन अपना था !
Monday, December 3, 2007
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1 comment:
अधूरे को पूरा कीजीये । सपना दुबारा देखिये । शायद पूरा हो जाये ।
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