Thursday, November 15, 2007

सब बातें तुम सी हैँ !

क्या बात करूँ
इन वादियों से
ये भी तो
तुम बिन
चुप सी हैं

हवाएँ भी
खोजती हैं
तेरे
आँचल का साया
न जाने कहाँ ये
गुम सी हैं


कलियों ने भी
न खिलने की
कसम है खाई
ये भी गईँ
तुझ बिन
बुझ सी हैं

किसी भी
बात में
मन रमता नहीं अब
सभी बातें

लगती अब
तुम सी हैँ

1 comment:

बालकिशन said...

दर्द भर दिया है आपने इस गीत मे. प्रेमिका के वियोग मे प्रेमी की मनःस्थिति का अति सुंदर चित्रण.

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