कोई उम्मीद तो नहीं तुमसे है,
फिर भी नाउम्मीद नहीं हूँ मैं ।
कोई सिर्फ बात ही करे हमसे,
इस बात का मुरीद नहीं हूँ मैं ।
उम्र भर खुद को जलाया मैंने,
पर किसी आँख का दीद नहीं हूँ मैं ।
खुदा है गुनहगार मेरा नज़र फेर कर,
तभी तो उसका आबिद नहीं हूँ मैं ।
जो दिया तूने वही तो लौटा पाऊँगा,
तभी हँसीं गज़लों का अदीब नहीं हूँ मैं ।
Saturday, November 17, 2007
Subscribe to:
Post Comments (Atom)

No comments:
Post a Comment